हज का ब्यान

بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला फरमाता है:

إن أول بيت وضع الناس الدى بنكة مركا و هدى العلمي فيه التبت مقام ابراهيم به من دون من استطاع إليه سبيلاء ومن كفر فإن الله تعني عن العلمي كان انا واللهِ عَلَى النَّاسِ حج البيت

तर्जुमा – “बेशक पहला घर जो लोगों के लिए बनाया गया वह है जो मक्का में है बरकत वाला और हिदयात तमाम जहान के लिए उस में खुली हुई निशानियों है मकामे इब्राहीम और जो शाख्श उसमे दाखिल हो बा अमन है और अल्लाह के लिए लोगों पर बैतुल्लाह का हज है जो शख्त रास्ते के एअतिबार से उसकी ताकत रखे और जो कुफ्र करे तो अल्लाह सारे जहान से बेनियाज है”

: और फरमाया وَانِمُوا الْحَجَّ وَالْعُمْرَةَ لِلَّهِ

तर्जुमा-:- “हज व उमरा को अल्लाह के लिए पूरा करों”।

हदीस न. 1- सही मुस्लिम शरीफ में अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने खुतबा पढ़ा और फरमाया ऐ लोगो! तुम पर हज फर्ज़ किया गया लिहाज़ा हज करो। एक शख़्स ने अर्ज की. क्या हर साल या रसूलल्लाह। हुजूर ने सुकूत फरमाया। उन्होंने तीन बार यह कलिमा कहा इरशाद फरमाया अगर मैं हाँ कह देता तो तुम पर वाज़िब हो जाता और तुम से न हो सकता फिर फरमाया जब तक मैं किसी बात को बयान न करूँ तुम मुझसे सवाल न करो अगले लोग सवाल की ज़्यादती और फिर अम्बिया की मुखालफत से हलाक हुए लिहाज़ा जब मैं किसी बात का हुक्म दूँ तो जहाँ तक हो सके उसे करो और जब मैं किसी बात से मना करूँ तो उसे छोड़ दो।

बहारे शरीअत सफा न.7 (छटवा हिस्सा)

हदीस शरीफ नं. 2- सहीहैन में अबु हूरैरा रदियल्लाहू तआला अन्हु से मरवी हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से अर्ज की गई की कौन अमल अफजल है। फरमाया अल्लाह और रसूल पर ईमान, अर्ज की गई किर कौन फरमाया हज्जे मबरूर यअनी मकबूल हज

बहारे शरीअत सफा न.7 (छटवा हिस्सा)

हदीस शरीफ नं. 3बुखारी व मुस्लिम व तिर्मिज़ी व नसई ईब्ने माजा मे अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अंहु से रावी रसूलुल्लाह सल्लाल्लाहु तआला अलैही वसल्लम फरमाते हैं जिसने हज किया और रफ़्स (फहश कलाम) न किया और फिस्क न किया तो गुनाहों से पाक हो कर ऐसा लौटा जैसे उस दिन कि माँ के पेट से पैदा हुआ।

बहारे शरीअत सफा न.7 (छटवा हिस्सा)

हदीस न.4 बुखारी व मुस्लिम व तिर्मिज़ी व नसई व ईब्ने माजा मे अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अंहु से रावी है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया:- “उमरा से उमरा तक उन गुनाहों का कफ्फारा है जो दरमियान में हुए और हज्जे मबरूर का सवाब जन्नत ही है”

बहारे शरिअत-छठा हिस्सा – सफा नं. 7

हदीस न.5 – मुस्लिम व इब्ने खुजैमा वगैरहमा अम्र इब्ने आस रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया हज उन गुनाहों को दफा कर देता है जो पेश्तर (पहले) हुए हैं।

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 7

हदीस नं. 6 व 7 इब्ने माजा उम्मुल मोमेनिन उम्मे सलमा रदीयल्लाहु तआला अन्हा से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया हज कमजोरों के लिए जिहाद है! और उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदीयल्लाहु तआला अन्हा से इब्ने माजा ने रिवायत की है की मैने अर्ज की या रसूलुल्लाह| औरतों पर जिहाद? फरमाया उनके जिम्मे वह जिहाद है जिसमे लड़ना नहीं हज व उमरा और सहीहैन मे उन्ही से मरवी की फरमाया तुम्हारा जिहाद हज है|

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस नं8तिर्मीजी व इब्ने खुजै़मा व इब्ने हब्बान अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम फरमाते है हज व उमरा मोहताजी और गुनाहों को ऐसे दूर करते है जैसे भट्टी लोहे और चाँदी और सोने के मैल को दूर करती है और हज्जे मबरूर का सवाब जन्नत ही है

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस नं.9बुखारी व मुस्लिम व अबू दाऊद व नसई व इब्ने माजा वगैरहुमा इब्ने अब्बास रदियल्लाहु तआला अंहुमा से रावी कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया रमजान मे उमरा मेरे साथ हज के बराबर है।

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस नं. 10बज़्ज़ार ने अबू मूसा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया हाजी अपने घर वालों में से चार सौ कि शफा़अ़त करेगा और गुनाहों से ऐसे निकल जायेगा जैसे उस दिन की माँ के पेट से पैदा हुआ।

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस नं.11 व 12 बैहकी अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अंहु से रावी कि मैने अबू कासिम सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम को फरमाते सुना जो खा़नए काअबा के क़स़्द से आया और उंट पर सावर हुआ तो ऊँट जो कदम अठाता और रखता है अल्लाह तआला उसके बदले उसके लिए नेकी लिखता है और चता को मिटाता है और दरजे बलन्द फरमाता है यहाँ तक की जब काअबा मुअज्जमा के पास पहुंचा और तवाफ किया और स़फा़ और मरवा के दरमियान सई की फिर सर मुन्डाया या बाल कतरवाये तो गुनाहों से ऐसा निकल गया जैसे उस दिन की माँ के पेट से पैदा हुआ। और उसी के मिस्ल अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अंहु से मरवी

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस न.13इब्ने खुजैमा व हाकिम इब्ने अब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत करते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम फरमाते है जो मक्के से पैदल हज को जाये यहां तक कि मक्का वापस आये उसके लिए हर कदम पर सात सौ नेकियां हरम शरीफ कि नेकियों के मिस्ल लिखी जाएगी कहा गया हरम कि नेकियों कि क्या मिकदार है फरमाया हर नेकी लाख नेकी है तो इस हिसाब से हर कदम पर सात करोड़ नेकियां हुई और अल्लाह बड़े फ़ज़्ल वाला है

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस न.14 से 16:- बज़्ज़ार ने जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया हज व उमरा करने वाले अल्लाह के वफ़्द है अल्लाह ने उन्हें बुलाया यह हाजिर हुए इन्होंने सवाल किया उसने इन्हें दिया। उसी के मिस्ल इब्ने उमर व अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी।

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस न.17 – बज़्ज़ार व तबरानी अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूर ने फरमाया हाजी की मगफिरत हो जाती है और हाजी जिस के लिए इस्तिग़फार करे उसके लिए भी।

बहारे शरिअत छठा हिस्सा सफा नं. 8

हदीस न.18 अस्बहानी इब्ने अ़ब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं हज्जे फर्ज जल्द अदा करो कि क्या मअलूम क्या पेश आये और अबू दाऊद व दारमी की रिवायत में यूँ है जिस का हज का इरादा हो तो जल्दी करे।

बहारे शरीअत(छठा हिस्सा) सफा न. 8-9

हदीस न.19 :- तबरानी औसत में अबूज़र रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि दाऊद अलैहिस्सलाम ने अर्ज की ऐ अल्लाह ! जब तेरे बन्दे तेरे घर की ज़्यारत को आयें तो उन्हें तू क्या अता फरमायेगा। फरमाया हर ज़ाइर का उस पर हक है जिसकी ज़्यारत को जाये, उनका मुझ पर यह हक है कि दुनिया में उन्हें आफियत दूँगा औरजब मुझसे मिलेंगे तो उनकी मग़फिरत फरमा दूँगा।

बहारे शरीअत(छठा हिस्सा) सफा न. 9

हदीस न.20 :- तबरानी कबीर में और बज़्ज़ार इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कहतेहै मैं मस्जिदे मिना में नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर था एक अन्सारी और एक सकफी ने हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हो कर सलाम अर्ज किया फिर कहा या रसूलल्लाह। हम कुछ पूछने के लिये हुजूर की खिदमत में हाज़िर हुए हैं। हुजूर ने फरमाया अगर तुम चाहो तो मैं बता दूँ किं क्या पूछने आये हो और अगर तुम चाहो तो मैं कुछ न कहूँ तुम्हीं सवाल करो, अर्ज की या रसूलल्लाहु ! हमें बता दीजिए, हुजूर ने इरशाद फरमाया तू इसलिये हाज़िर हुआ है कि घर से निकल कर बैतुल हराम (कबा शरीफ) के इरादे से जाने को मुझसे पूछे और यह कि उसमें तेरे लिये क्या सवाब है और तवाफ के बअद दो रकअतें पढ़ने को और यह कि उसमें तेरे लिए क्या सवाब है और सफा व मरवा के दरमियान सई को और अरफा की शाम के वुकूफ को और तेरे लिए उस में क्या सवाब है और जमार की रमी को और उसमें तेरे लिए क्या सवाब है और कुर्बानी करने को और उसमें तेरे लिए क्या सवाब है और उसके साथ तवाफे इफाज़ा को। उस शख्स ने अर्ज की कसम है उस ज़ात की जिसने हुजूर को हक के साथ भेजा इसीलिये हाजिर हुआ था कि इन बातों को हुजूर से दरयाफ्त करूँ, इरशाद फरमाया जब तू बैतुल हराम के कस्द से घर से निकलेगा तो ऊँट के हर कदम रखने और हर कदम अठाने पर तेरे लिये नेकी लिखी जायेगी और तेरी ख़ता मिटा दी जायेगी और तवाफ के बद की दो रकतें ऐसी हैं जैसे औलादे इस्माईल में कोई गुलाम हो उसके आज़ाद करने का सवाब, और सफा व मरवा के दरमियान सई सत्तार गुलाम आज़ाद करने की मिस्ल है और अरफा के दिन वुकूफ करने का हाल यह है कि अल्लाह तआला आसमाने दुनिया की तरफ खास तजल्ली फरमाता है और तुम्हारे साथ मलाइका पर मुबाहात (फ़ख़) फरमाता है इरशाद फरमाता है मेरे बन्दे दूर-दूर से परागन्दा सर (बिखरे हुए बाल के साथ) मेरी रहमत के उम्मीदवार हो कर हाजिर हुए अगर तुम्हारे गुनाह रेते की गिनती और बारिश के कतरों और समुन्दर के झाग बराबर हों तो मैं सबको बख़्श दूँगा। मेरे बन्दो वापस जाओ तुम्हारी मग़फिरत हो गई और उसकी जिसकी तुम शफाअत करो और जमरों पर रमी करने में हर कंकरी पर एक ऐसा कबीरा गुनाह मिटा दिया जायेगा’ जो हलाक करने वाला है और कुर्बानी करना तेरे रब के हुजूर तेरे लिये जखीरा है और सर मुंडाने में हर बाल के बदले में नेकी लिखी जायेगी और एक गुनाह मिटाया जायेगा, उसके बअद खानए कअबा के तवाफ का यह हाल है कि तू तवाफ कर रहा है और तेरे लिए कुछ गुनाह नहीं एक फरिश्ता आयेगा और तेरे शानों के दरमियान हाथ रख कर कहेगा कि आने वाले जमाने में अमल कर और गुज़रे हुए ज़माने में जो कुछ किया था मुआफ कर दिया गया।

बहारे शरीअत(छठा हिस्सा) सफा न.9

हदीस न. 21 अबू यअला अबू हरैरा रदियल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो हज के लिये निकला और मर गया तो कियामत तक उसके लिये हज करने वाले का सवाब लिखा जायेगा और जो उमरा के लिये निकला और मर गया उसके लिये कियामत तक उमरा करने वाले का सवाब लिखा जायेगा और जो जिहाद में गया और मर गया उसके लिए क़ियामत तक ग़ाज़ी का सवाब लिखा जायेगा।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न.10

हदीस न.22 तबरानी व अबू यअला व दारेकुतनी व बैहकी उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियल्लाह तसाला अन्हा से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं जो इस राह में हज या उमरा के लिए निकला और मर गया उस की पेशी नहीं होगी न हिसाब होगा और उस से कहा जायेगा तू जन्नत में दाखिल हो जा।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

हदीस न.23 :- तबरानी जाबिर रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम, ने फरमाया, यह घर इस्लाम के सुतूनों में से एक सुतून है फिर जिसने हज किया या उमरा वह अल्लाह की ज़मान (ज़िम्मे) में है, अगर मर जायेगा तो अल्लाह तआला उसे जन्नत में दाखिल फर फरमायेगा और घर को वापस कर दे तो अज्र (सवाब) व गनीमत के साथ वापस करेगा।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

इदीस न.24 व 25 :- दारमी अबू उमामां रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसे हज करने से न जाहिरी हाजत रुकावट बनी, न बादशाहे जालिम,न कोई ऐसा मरज़ जो हज़ के लिए रोक दे फिर बगैर हज के मर गया तो चाहे यहूदी होकर मरे या नसरानी होकर इसी की मिस्ल तिर्मिज़ी ने हज़रत अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवयात की।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

हदीस न.26 :- तिर्मिज़ी व इब्ने माजा इब्ने उमर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी एक शख्स ने अर्ज की क्या चीज़ हज को वाजिब करती है. फ़रमाया तोशा और सवारी।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

हदीस न. 27 :- शरहे सुन्नत में उन्हीं से मरवी किसी ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह ! हाजी को कैसा होना चाहिये फरमाया परागन्दा सर, मैला, कुचैला। दूसरे ने अर्ज़ की या रसूलल्लाह ! हज का कौन सा अमल अफ‌ज़ल है, फरमाया बलन्द आवाज़ से लब्बैक कहना और कुर्बानी करना। किसी और ने अर्ज की सबील क्या है, फरमाया तोशा और सवारी।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

हदीस न.28 :- अबू दाऊद व इब्ने माजा उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा से रावी कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाह तआला अलैहि वसल्लम को फरमाते सुना जो मस्जिदे अकसा से मस्जिदे हराम तक हज या उमरा का एहराम बाँध कर आया उसके अगले-पिछले गुनाह सब बख्श दिये जायेंगे या उसके लिये जन्नत वाजिब होगी।

बहारे शरीअ़त (छठा हिस्सा) सफा न. 10

आओ इल्मे दीन सीखे :- सुन्नी यूथ विंग

हमसे जुड़े अपने आने वाले बेहतर कल के लिए

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *