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हज का ब्यान – 2

हज के मसाइल हज नाम है एहराम बाँध कर नवीं जिलहिज्जा को अरफात में ठहरने और कअबा शरीफ के तवाफ का, और उसके लिये एक खास वक़्त मुर्कार है कि उसमें यह अफ़आ़ल (काम) किये जायें तो हज है। सन 9 हिजरी में फर्ज़ हुआ उसकी फर्ज़ियत क़तई है जो उसकी फ़र्जि़यत का इन्कार करे […]

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अल्लाह तआला की जात और उसकी सिफ्तों के बारे में अक़ीदे

अल्लाह एक है कोई उसका शरीक नहीं न जात में न सिफात में न अफआल (कामों) में न अहकाम (हुक्म देने) में न नामों में। वह “वाजिबुल वजूद” है यानी (जिसका हर हाल में मौजूद रहना जरूरी हो) उसका अदम मुहाल है यानी किसी जमाने में उसकी जात मौजूद न हो नामुमकिन है। अल्लाह “कदीम

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हज का ब्यान

بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला फरमाता है:– إن أول بيت وضع الناس الدى بنكة مركا و هدى العلمي فيه التبت مقام ابراهيم به من دون من استطاع إليه سبيلاء ومن كفر فإن الله تعني عن العلمي كان انا واللهِ عَلَى النَّاسِ حج البيت तर्जुमा – “बेशक पहला घर जो लोगों के लिए बनाया गया

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हजरत मुहम्मद ﷺ ने फरमाया

رسول اللہ صلی ﷺ نے فرمایا مَنْ خَرَجَ فِي طَلَبِ الْعِلْمِ ، فَهُوَ فِي سَبِيلِ اللَّهِ حَتَّى يَرْجِع جو شخص حصول علم کے لئے نکلاوہ اس وقت تک اللہ کی راہ میں ہے جب تک کہ واپس نہیں لوٹ آتا۔ Hazrat Muhammad ﷺ said Whoever goes out seeking knowledge, then he is in Allah’s cause

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